राम जन्मभूमि विवाद का संक्षिप्त इतिहास

   1528 में राम जन्मभूमि पर मस्जिद बनाई गई थी ।हिंदुओं के पौराणिक ग्रंथ रामचरितमानस के अनुसार यहां भगवान राम का जन्म हुआ  ।                                1853 में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच इस जमीन को लेकर पहली बार विवाद हुआ था ।                  1859 में अंग्रेजों ने विवाद को ध्यान में रखते हुए पूजा व नमाज के लिए मुसलमानों को अंदर का हिस्सा व हिंदुओं को बाहर का हिस्सा उपयोग में लाने को कहा ।                                                                        1949 में भवन के अंदर के हिस्से में भगवान राम की मूर्ति रखी गई जिससे दोनों पक्षों में तनाव बढ़ गया। तनाव के बढ़ने पर सरकार ने परिसर के गेट पर ताला लगवा दिया ।                                                      सन 1986 में जिला न्यायाधीश ने विवादित स्थल को हिंदुओं की पूजा के लिए खोलने का आदेश जारी किया । मुस्लिम समुदाय ने इसका विरोध किया । इसके विरोध में मुस्लिम समाज ने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया ।                                     सन 1989 में विश्व हिंदू परिषद ने विवादित स्थल  से लगी जमीन पर राम मंदिर बनाने की मुहिम शुरू की ।                                                                   6 दिसंबर 1992 को कार सेवकों द्वारा बाबरी मस्जिद गिराई गई । जिसके परिणाम स्वरूप देश भर में दंगे हुए जिसमें करीब 2000 से ज्यादा लोगों की जानें गई ।                                                                   16 दिसंबर 1992 को सरकार द्वारा एक आयोग का गठन किया गया । आयोग के अध्यक्ष आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एम एस लिब्रहान को बनाया गया । जिससे इस आयोग को लिब्रहान आयोग भी कहा जाता है ।
      लिब्रहान आयोग  को 3 माह के अंदर अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया था । किंतु आयोग ने रिपोर्ट देने में 17 वर्ष लगा दिए ।
    1993 में केंद्र के इस अधिग्रहण को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई । चुनौती देने वाला मोहम्मद इस्माइल फारुकी था । सर्वोच्च न्यायालय ने यह कहकर की केंद्र सिर्फ जमीन का संग्राहक है चुनौती को खारिज कर दिया और कहां कि जब जमीन का फैसला हो जाएगा तो जमीन मालिकों को लौटा दी जाएगी । 
       1996 में श्री राम जन्म भूमि न्यास ने केंद्र सरकार से जमीन की मांग की थी लेकिन सरकार ने यह मांग ठुकरा दी थी । जिसके बाद न्यास ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जिसे 1997 में कोर्ट ने भी खारिज कर दिया ।
         2002 में जब गैर विवादित जमीन पर कुछ गतिविधियां शुरू हुई तो तो असलम भूरे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की ।
       2003 में इस पर सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश जारी किया कोर्ट ने कहा विवादित और अविवादित जमीन को अलग-अलग करके नहीं देखा जा सकता ।
      30 जून 2009 को लिब्रहान आयोग ने चार भागों में 700 पन्नों की रिपोर्ट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं गृह मंत्री पी चिदंबरम को सौंप दी । इस दौरान जांच आयोग का कार्यकाल 48 बार बढ़ाया गया ।
        2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने जो निर्णय सुनाया उसमें विवादित भूमि को राम जन्मभूमि घोषित किया । न्यायालय ने यह भी कहा कि वहां से रामलला की मूर्ति को नहीं हटाया जाएगा । न्यायालय ने यह भी पाया कि सीता रसोई राम चबूतरे का कब्जा निर्मोही अखाड़े के पास है इसलिए इसे निर्मोही अखाड़े के पास ही रहने दिया जाए । दो न्यायाधीशों ने यह निर्णय भी दिया कि भूमि के कुछ भाग पर मुसलमान प्रार्थना करते हैं इसलिए विवादित भूमि का एक तिहाई हिस्सा मुसलमानों को दे दिया जाए । लेकिन दोनों ही पक्षों ने इस निर्णय को अस्वीकार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की ।
       सर्वोच्च न्यायालय ने 7 वर्षों के बाद यह निर्णय लिया कि 11 अगस्त से तीन न्यायाधीशों की पीठ इस विवाद की सुनवाई रोज करेगी । ताकि इस विवाद का फैसला जल्द हो सके । सुनवाई से पहले शिया वक्फ बोर्ड ने अपनी याचिका लगाकर पक्षकार होने का दावा किया ।
      9 नवंबर 2019 को सर्वोच्च न्यायालय का फैसला राम मंदिर के पक्ष में आया । कोर्ट ने अपने फैसले में ए एस आई का हवाला देते हुए कहा की बाबरी मस्जिद का निर्माण किसी खाली जमीन पर नहीं किया गया था विवादित जमीन के नीचे एक ढांचा था । और वह ढांचा इस्लामिक नहीं था । कोर्ट ने कहा पुरातत्व विभाग की खोज की अनदेखी नहीं की जा सकती ।विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक माना चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की विशेष बेंच ने सर्वसम्मति से राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया ।
    
      हिंदुओं की मान्यता है कि श्री रामचंद्र जी का जन्म अयोध्या में हुआ था । एवं उनके जन्म स्थान पर एक भव्य मंदिर बना हुआ था । जिसे मुगल आक्रमण कारियो ने तोड़ कर एक मस्जिद का निर्माण कर दिया था । जिसका नाम बाबर के नाम पर बाबरी मस्जिद रख दिया । जिसे बाद में बाबरी मस्जिद कहा जाने लगा ।

Popular posts from this blog

बलिया में पूर्व प्रधान की गोली मारकर निर्मम हत्या

राजनैतिक सियासी रण में संग्राम, बाबाओं के मध्य वर्चस्व की जंग, पंडोखर सरकार ने बागेश्वर धाम वाले बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को क्यों दी चुनौती ?

धर्म परिवर्तन के आरोप में फरार चल रहे आरोपियों की तलाश में पुलिस नेें ताबड़तोड़ दबिश दी,